क्या आपको मालूम है कि नेवले का मुकाबला दुनिया के चाहे कितने ही खतरनाक सांप से हो जाए लेकिन उसमें हमेशा वही जीतेगा. क्यों ऐसा होता है कि सांप और नेवले की लड़ाई में जीत नेवले की होती है….और एक बड़ी बात ये भी है कि कोबरा अगर नेवले को लड़ाई में काट ले तो काफी हद तक उस पर उसके जहर का कोई असर नहीं होता.
करीब 3 फीट लंबा भारतीय ग्रे नेवला दुनिया के सभी नेवलों से आकार में बड़ा होता है. इसे बड़ा जंगली नेवला भी कहते हैं. इसे देखते ही कोबरा तक दूर भागता है. क्योंकि वो कोबरा तक को आसानी से मार देता है. उसे कोबरा को मारने वाले नेवला के तौर पर जाना जाता है.
वो निंजा शैली में बार बार कोबरा पर कूद कर लड़ता है
भारतीय नेवला जब सांप से लड़ता है तो उसकी तकनीक ऐसी होती है कि उसमें सांप कभी पार ही नहीं सकता. तकनीक सरल है- वो सांप पर निंजा की गति से छलांग लगाता और खुद को बखूबी बचाता भी है. वो बार बार ऐसा करके सांप को वार करने के लिए मजबूर करता है और थका देता है. कभी – कभी वो सीधे सांप का सिर पकड़कर उसको काट लेता है और सांप का काम तमाम हो जाता है.
कोबरा के साथ लड़ाई में नेवला अपने फर को फुलाकर आकार को दोगुना दिखने लगता है, जिससे कोबरा के लिए उस पर हमला करना कठिन हो जाता है. सांप के लिए उस पर वार करना मुश्किल हो जाता है. कहना चाहिए कि ये एक निडर शिकारी और हमलावर है, जो अपने शिकार पर सिर के बल झपटता है और उसके सिर को काटता है. वो पीछे से कभी वार नहीं करता, सामने से ही मारता है.
ये अपने शिकार का पीछा करता है और जब वो करीब होता है, तब उस पर मारता है. अगर ये सांप का पीछा करता है तो उसके बिल तक उसका पीछा करता है, बिल में ये उसको खोदकर निकाल सकता है. इसके लिए विशाल अगले पंजे एकदम उपयुक्त हैं. अगर इसको मुर्गीघर में छोड़ दें तो ये तबाही मचा देगा. नेवला शिकार का खून पीने में माहिर होता है.
कैसे कोबरा का जहर उस पर असर नहीं करता
माना जाता है कि नेवले पर सांप के जहर असर नहीं करता. उनके शरीर में कई ऐसी चीजें होती हैं जो कोबरा से काटने पर उन्हें बचा लेती हैं. नेवले में एक ऐसा तंत्र एसिटाइलकोलाइन रिसेप्टर्स होते हैं तो खुद को सांप के जहर से टकराकर उसको शरीर में घुसने से रोक देता है.साथ ही नेवले एक ग्लाइकोप्रोटीन पैदा करते हैं, जो कोबरा के विष में मौजूद प्रोटीन से बंध जाते हैं और विष काफी हद तक उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाता. उनका फुर्तीला होना भी उन्हें काटने से बचाता है.
हालांकि नेवले कोबरा के जहर से पूरी तरह से प्रोटेक्टेड नहीं होते. कभी कभी उनके बीमार होने या मर जाने की भी आशंका रहती है. लेकिन ये तभी होता है जबकि कोबरा कई बार नेवले को काट ले.
भारतीय नेवला कितनी तरह का
भारत में जो नेवला पाया जाता है. भारत में नेवले की 06 प्रजातियां पाई जाती हैं; चार मुख्य रूप से पश्चिमी घाट के जंगलों में रहती हैं. उत्तर भारत में इंडियन ग्रे नेवला और छोटा भारतीय नेवला खूब पाया जाता है. मानव के आसपास, जंगलों और रेगिस्तान में रहने के लिए उसने बखूबी खुद को एडाप्ट किया है.
किस रंग के होते हैं भारतीय नेवला
भारतीय नेवला आमतौर पर ग्रे रंग का होता है. इसके बाल पर काले और सफेद रंग की धारियों वाले होते हैं. दक्षिण भारत में पाए जाने वाले नेवले उत्तर में पाए जाने वाले नेवले की तुलना में गहरे रंग के होते हैं, उनकी धारियां काले रंग की होती हैं. रेगिस्तान में रहने वाले नेवले ज़्यादा लाल होते हैं. छोटा भारतीय नेवला भूरे रंग से ज़्यादा जैतूनी भूरे रंग का होता है.
किसान क्यों नेवले को पसंद करते हैं
भारत में नेवले को संरक्षित प्रजाति माना जाता है. किसान उससे इसलिए प्यार करते हैं क्योंकि ये सांपों और चूहों दोनों को खेतों और घरों से दूर रखता है, खासकर मानसून के दौरान. आम तौर पर नेवले साल में दो से तीन बार बच्चे देते हैं, हर बार दो से पांच बच्चे होते हैं. वे अपने बच्चों को भूमिगत बिलों में रखते हैं. मां ही बच्चों को पालती है.
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